जसपुर। फन टीवी न्यूज़
ईदुल फितर के दिन फज्र की नमाज के बाद बूरे से बने सकराने को खाने का प्रचलन है। बूरे के बिना मीठी ईद को अधूरा माना जाता है।
मीठी ईद से चंद दिन पहले नगर के कई स्थानों पर बूरा बनाने के लिए कारिगर भट्टियॉ लगते है। यहॉ के कारिगरो अच्छी गुणवत्ता का बूरा बनते है। लिहाजा मुस्लिम लोग बूरा खरीद कर अपने घरो को ले जाते है। बूरे का ईद के लिए भी खासा महत्व है ईद के दिन सुबह बने चावलों के ऊपर बूरा, सूखे मेवे एवं देशी घी डालकर सकराना बनाया जाता है। फिर इसे शगुन के तौर पर परिवार के सभी लोग एक साथ खाते है। इससे न केवल मीठी ईद के दिन की शुरूआत होती है बल्कि परिवार में एक दूसरे के प्रति मुहब्बत भी बढ़ती है। बूरा बनाने वाले खलील हलवाई बताते है कि बूरे को बनाने के लिये खासी मशक्कत करनी होती है। जसपुर में लोग बूरे के काफी शौकिन है। उन्होने बताया कि जसपुर से बेहतर कहीं और बूरा नहीं बनाया जाता है। बूरे का वर्तमान भाव साठ रूपये किलो है।

